Jamsetji Tata Biography in Hindi – उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में जब केवल अंग्रेजों द्वारा औद्योगिक साम्राज्य का स्थापना किया जाता था तभी एक भारतीय व्यवसायी ने अपने बलबूते एक औद्योगिक साम्राज्य को खड़ा किया वो हैं टाटा ग्रुप के संस्थापक जामसेत्जी नसरवानजी टाटा / Jamsetji Nusserwanji Tata जिनको हम सब जमशेदजी टाटा / Jamsetji Tata के नाम से जानते हैं.
दोस्तों मुझे नहीं लगता आप सभी को Tata Group के बारे में कुछ परिचय देने की जरूरत होगी, क्यों की टाटा ग्रुप ना केवल हमारे भारत में बल्कि विदेशों भी इसके उत्पादों के कारण बहुत लोकप्रिय है. हमारे दैनिक जरूरतों में कहीं ना कहीं हम जरूर टाटा के उत्पादों का उपयोग करते हैं. चाय से लेकर मसालों तक और सुई से लेकर लोहे की सरिया तक हर एक उत्पाद में हम Tata company का नाम देख सकते हैं.
चलिए आज के इस post में हम “Father of Indian Industry Jamsetji Tata” के बारे में कुछ दिलचस्प और अनसुनी बातों के ऊपर गोर करते हैं. इस पोस्ट में हम आज जमशेदजी टाटा के जीवनी को हिंदी में समझेंगे जिसमे हम इनके जन्म, परिवार, शिक्षा, व्यवसाय, मृत्यु और उनके कुछ बेहतरीन उल्लेख के बारे में चर्चा करेंगे (Jamsetji Tata Biography in Hindi – Birth, Family, Education, Quotes, Business, Death).
Jamsetji Tata Quick Intro :
Full Name | Jamsetji Nusserwanji Tata |
Nick Name | Jamsetji Tata / Father of Indian Industry |
Profession | Industrialist / Taj Hotel Founder / Businessman |
Father Name | Nusserwanji Tata |
Mother Name | Jeevanbai Tata |
Date of Birth | 03 March 1839 |
Birth Place | Navsari, a city in Gujarat |
School | Not Available |
College | Elphinstone College, Mumbai |
Qualification | Green Scholar |
Wife | Hirabai Daboo |
Death | 19 May 1904 |
Jamsetji Tata Early Life (Birth, Family, Education) :
ब्रिटिश शासन काल में 03 March 1839 को Jamsetji Tata का जन्म गुजरात के एक शहर नवसारी में हुआ था. ये एक पारसी परिवार के लड़के थे उनके पिता का नाम नसरवानजी टाटा और माताजी का नाम जीवनबाई टाटा था.
जमशेदजी टाटा के परिवार में हर एक सदस्य पारसी समुदाय के ब्राह्मण थे लेकिन उनके पिताजी नसरवानजी टाटा उनके परिवार के पहले व्यवसायी थे जो की export and import का व्यवसाय करते थे. Jamsetji Tata को पढ़ाई में बहुत रूचि थी इसलिए वे अपने कॉलेज की पढ़ाई के लिए बॉम्बे चले आये.
अपने स्कूल की पढ़ाई गुजरात के एक स्कूल से पूरी करने के बाद वे अपने पिता के साथ बॉम्बे चले आए जहाँ उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय को join करके अपनी कॉलेज की पढ़ाई के लिए एल्फिन्स्टन कॉलेज (Elphinstone College, Mumbai) में दाखिला लिए और अपने कॉलेज से ‘Green Scholar’ की पढ़ाई ख़त्म करके अपनी शिक्षा पूरी की.
अपने कॉलेज की पढ़ाई करते वक्त जमशेदजी टाटा ने अपनी कॉलेज की एक सहपाठी हीराबाई डब्बू (Hirabai Daboo) से शादी कर लिए. कॉलेज से 1858 में अपनी शिक्षा को पूरी करने के बाद वे पूरी तरह से अपने पिता के साथ उनके व्यवसाय में सहयोग करने लगे.
Jamsetji Tata Business :
अपने कॉलेज की पढ़ाई करते वक्त Jamsetji Tata ने अपने पिता को उनके व्यवसाय में मदद करते थे, लेकिन साल 1858 में वे कॉलेज से स्नातक होने के बाद अपने पिता के साथ उनके व्यवसाय से पूरी तरह से जुड़ गये और उनके व्यवसाय को और आगे ले जाने के लिए जापान, चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जेसे कुछ मजबूत राष्ट्रों को गस्त करके वह अपने व्यवसाय को आरंभ किये और अपने import export व्यवसाय को बहुत आगे ले गये.
ये समय भारतीय व्यवसायियों के लिए बहुत कठिन था क्यों की उस वक्त केवल अंग्रेजों ने ही अपने व्यवसाय को भारत में स्थापना करते थे और सभी भारतीयों को बहुत तुच्छ नजर में देखते थे. लेकिन इसके बावजूद जमशेदजी टाटा ने अपनी सूझबूझ से अपने पिता के व्यवसाय को आगे ले जाने में सफल हुए.
अपने चीन यात्रा के दौरान जमशेदजी टाटा को ये अनुभव हो चुका था कि ब्रिटिश शासनकाल के समय भी भारत में कपड़ा उद्योग एक सफल व्यवसाय हो सकता है. भारत में एक कपड़े का कारखाना आरम्भ करने के लिए वे साल 1868 में अपने 29 वर्ष की आयु में 21,000 पूंजी निवेश करके अपना खुद का व्यापारिक कंपनी की स्थापना किए.
लेकिन एक साल बाद ही साल 1869 में वे एक बहुत ही कम मुल्ली में, चिंचपोकली में एक दिवालिया तेल मिल खरीदें और उसे कपड़े की मिल में परिवर्तित करके उसको “एलेक्जेंड्रा मिल” नाम से नामित किया, 2 साल के बाद जमशेदजी टाटा ने उस मिल को बहुत ही अच्छे मूल्य में बेच दिया. इस मिल को बेचे गये पेसे से जमशेदजी टाटा ने 1874 में नागपुर में एक कॉटन मिल स्थापित किया.
हालांकि जमशेदजी टाटा ने बॉम्बे में ये मिल आरम्भ ना करने के लिए टाटा को बॉम्बे के लोगों से बहुत बुरा भला सुनना पड़ा, लेकिन जमशेदजी टाटा का नागपुर में कपास मिल स्थापित करने का फैसला सही था इसलिए वे इस व्यवसाय में सफल हुए.
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बॉम्बे के तुलना में नागपुर में जमीन की कीमत बहुत कम थी और कच्चा माल भी बहुत आसानी से मिलजाता था जिसके लिए जमशेदजी टाटा ने बॉम्बे को छोड़ के नागपुर में अपना कपड़े का कारखाना आरम्भ किया. जब महारानी विक्टोरिया को 1 जनवरी 1877 को भारत की महारानी घोषित किया गया, तब इस मिल को जमशेदजी टाटा ने “Empress Mill” नाम से नामित किए.
“Empress Mill” हमारे भारत देश की अबतक की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कपड़े का कारखाना है जिसको साल 1877 में जमशेदजी टाटा द्वारा नागपुर ने स्थापना किया गया था. ये मिल को आरम्भ करते वक्त इसमें 17,500 श्रमिकों ने अपना योगदान दिया.
अपने कपड़े की मिल को सही तरीके से भारत देश तथा अन्य देशों में विकसित करने के अलावा उनके जीवन के और 4 बड़े लक्ष्य थे एक – लौह और इस्पात कंपनी, एक विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थान, एक अनूठा होटल और एक हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट स्थापित करना, जिसमे से वे केबल 1 लक्ष्य को पूरी करने में सफल हुए वो है एक अनोखा होटल का स्थापना करना जो की भारत देश का सबसे बड़ा होटल है “होटल ताज महल” / (Hotel Taj Mahal in Mumbai).
जमशेदजी टाटा का “होटल ताज महल” को स्थापित करने के पीछे एक कारण है उस वक्त अंग्रेजों ने भारतीयों को किसी भी यूरोपीय होटल में प्रवेश नहीं करने देते थे, ऐसे ही एक दिन जमशेदजी टाटा ने मुंबई के वेस्टिन होटल (Westin hotel in Mumbai) को गये लेकिन उस होटल में इन्हे प्रवेश करने को मना करदिया गया था और वहां के दरबान ने यहाँ तक कहा की “यहाँ कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश करना मना है” ये सुनकर जमशेदजी टाटा को बहुत बुरा लगा और ये मन ही मन भारत में एक अनोखा होटल का स्थापना करने का फैसला कर चुके थे.
अपने सपने को साकार करने के लिए जमशेदजी टाटा ने “होटल ताज महल” का निर्माण किया. “होटल ताज महल” को December 1903 को 4,21,00,000 रुपये के भारी खर्च निवेश करके जमशेदजी टाटा ने मुंबई में कोलाबा तट पर “होटल ताज महल” का निर्माण किया. उस समय यह भारत का एकमात्र एसा होटल था जिसमें बिजली था. इसके अलावा वे जीते जीते बोहत से अन्य कंपनियों को भी “TATA” के नाम से स्थापित करते गये.
अपने भारत देश के औद्योगिक विकास में जमशेदजी टाटा का बहुत बड़ा योगदान है, जिस वक्त किसी भी भारतीय अपना व्यवसाय को स्थापित करने से डरते थे उस वक़त जमशेदजी टाटा ने अपने सूझ बुझ और दृढ निष्ठा के कारण वे औद्योगिक क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन लेन में सफल हुए जिसके कारण हम आज भी उनके पास ऋणी हैं.
न केवल जमशेदजी टाटा सफल उद्योगपति और व्यवसायी हैं इसके अलावा वे अपने कर्मचारियों के लिए भी बहुत से कल्याणकारी व्यवस्था लागू किये, इस ब्याबस्थाओं में वे अपने मजदूरों केलिए पुस्तकालयों, पार्कों, आदि की प्रबंध करने के साथ-साथ मुफ्त दवा आदि की सुविधा भी उन्हें प्रदान कीए.
Jamsetji Tata Death :
जमशेदजी टाटा / Jamsetji Tata साल 1900 में अपनी जर्मनी की यात्रा के दोरान वे गंभीर रूप से बीमार हो गए और बीमारी से जूझते जूझते 19 May 1904 को वे बैड नौहाइम (Bad Nauheim) में अपनी आखिरी सांस लिए. उनके मृत शरीर को पारसी मान्यताओं के अनुसार इंग्लैंड के वोकिंग के ब्रुकवुड कब्रिस्तान (Parsi burial ground in Brookwood Cemetery, Woking, England) में दफनाया गया.
Jamsetji Tata Quotes :
“इसे समर्थन देने की ताकत के बिना स्वतंत्रता और, अगर जरूरत है, तो इसका बचाव करें, यह एक क्रूर भ्रम होगा। और स्वतंत्रता की रक्षा करने की ताकत केवल व्यापक औद्योगिकीकरण और आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के देश के आर्थिक जीवन में जलसेक से आ सकती है”
-Jamsetji Tata
“हम अन्य लोगों की तुलना में अधिक निःस्वार्थ, अधिक उदार या अधिक परोपकारी होने का दावा नहीं करते हैं। लेकिन हमें लगता है कि हमने शेयरधारकों के हितों, और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण, हमारी सफलता की निश्चित नींव पर विचार करते हुए, ध्वनि और सरल व्यापारिक सिद्धांतों पर शुरुआत की”
-Jamsetji Tata
“एक मुक्त उद्यम में, समुदाय व्यवसाय में केवल एक अन्य हितधारक नहीं है, बल्कि वास्तव में इसके अस्तित्व का बहुत उद्देश्य है”
-Jamsetji Tata
“ईमानदार और सरल व्यावसायिक सिद्धांतों के साथ, विवरण के करीब और सावधानीपूर्वक ध्यान, और अनुकूल अवसरों और परिस्थितियों का लाभ उठाने की क्षमता, सफलता की गुंजाइश है।”
-Jamsetji Tata
Summary :
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